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Wednesday 22 March 2017

ख़ुशी और सफलता का सम्बंध

ख़ुशी और सफलता का सम्बंध

एक छोटी की कहानी मेरे दिल को छु गई, इसको सुनिए और जितना हो सकता है इसे share कीजिये। हो सकता है हमारी छोटी सी कोसिस समाज में एक सकारात्मक (Positive) बदलाव ला सके।
यह एल पेड़ की कहानी है, जिसको एक छोटे से बच्चे से प्यार हो गया था। हर रोज वो बच्चा पेड़ के पास आता, उसको जप्पी देता और उसके पत्ते तोड़ के उनके साथ खेलता। उसकी शाखा पर झुला झूलता उसके सेब तोड़ के खा जाता, उसके आस-पास गोल-गोल गुमता और जब थक जाता तब उसी पेड़ के निचे चाय में सो जाता। पेड़ को उस बच्चे से प्यार था उस बच्चे को उस पेड़ से प्यार था। दोनों बहुत खुस थे।
इतना प्यार के पत्ते टूटने पर सेब छिनने पर भी वो पेड़ उस बच्चे को खुस देख कर खुस हो जाता। समय बीतता गया वो बच्चा बड़ा हो गया, अपनी पढाई में मस्त हो गया और उस पेड़ के पास आना उसका बहुत कम हो गया।
एक दिन खाली था, पेड़ की याद आई तो उस पेड़ के पास आ गया, पेड़ बहुत खुस हुआ, बच्चे कैसे हो? आओ खेलो !!, मेरे पत्तो के साथ खेलो !!, मेरे सेब खाओ !!, मेरे साथ लीप्टो !!
तो बच्चा कहने लगा में अब बड़ा हो गया हु, तेरी शाखाओ पर चढ़ नहीं पाउँगा। मुझे दोस्तों के साथ खेलना है, मुझे थोड़े पैसे चाहिए आप दे सकते हो क्या?
तो पेड़ ने कहा: “बच्चे मेरे पास पैसे कहा, तुम चाहो तो मेरे पत्ते लेलो, मेरे सेब लेलो और उन सेबो को कही बेच देना और जो पैसे इकट्टे हुए उनको रख लेना और उनसे मस्ती कर लेना, मनोरंजन कर लेना, खेल लेना”
वो बच्चा बहुत खुश हुआ। पेड़ पढ़ पर चढ़ गया, ढेर सारे सेब तोड़े और उन सेबो को लेके ख़ुशी ख़ुशी चला गया। और उसको खुश जाते हुए देख कर पढ़ भी बहुत खुश हुआ।
बहुत समय बीत गया, वो पेड़ इन्तेजार करता रहा लेकिन वो बच्चा नहीं आता था। वो बच्चा अब बच्चा नहीं रह गया था बड़ा हो गया था लेकिन अचानक वह आ गया। पेड़ बहुत खुस हुआ आओ मेरे बच्चे मेरे साथ खेलो, मेरे आस-पास गुमो, मेरे पत्ते तोड़ो, मेरी शाखाओ पर चाडो, झुला झूलो, मेरे सेब खाओ।
तो बच्चा बोला: “मेरे पास इन चीजों के लिए समय नहीं है, मैंने और भी काम करने है, मेरी अब बीवी है, मेरे बच्चे है उनके लिए घर चाहिए। आप घर दे सकते हो गया”
बहुत समय बीत गया, वो पेड़ इन्तेजार करता रहा लेकिन वो बच्चा नहीं आता था। वो बच्चा अब बच्चा नहीं रह गया था बड़ा हो गया था लेकिन अचानक वह आ गया। पेड़ बहुत खुस हुआ आओ मेरे बच्चे मेरे साथ खेलो, मेरे आस-पास गुमो, मेरे पत्ते तोड़ो, मेरी शाखाओ पर चाडो, झुला झूलो, मेरे सेब खाओ।
तो बच्चा बोला: “मेरे पास इन चीजों के लिए समय नहीं है, मैंने और भी काम करने है, मेरी अब बीवी है, मेरे बच्चे है उनके लिए घर चाहिए। आप घर दे सकते हो गया”
तो पेड़ कहने लगा: “मेरे पास घर कहा, ये जंगल ही मेरा घर है। हां।।!! एक काम कर सकते हो। मेरी शाखाओ को काट दो और उस लकड़ी को लेकर बहार बेच दो। और जो पैसे मिले उन पैसे सो अपना घर खरीद लो”
खुश होना ?
उस बच्चे ने जो अब बच्चा नहीं रह गया था, पेड़ की शाखाओ को काटा और खुसी-खुसी अपने साथ ले गया। और उसको खुश देखकर पेड़ अपनी पीड़ा (कटने का दर्द) और खुश हो गया।
समय बीतता गयाम पेड़ अब बुढा हो गया। और उस बच्चे के इंतजार में (जो बच्चा अब बच्चा नहीं रह गया था) आँखे बीचा कर राह देखता रहा।
की अचानक,
वो बड़ा हो गया बच्चा वह आ गया। पेड़ अब बुढा हो चूका था। उसकी शाखाए कट चुकी थी, उसके पास पत्ते भी नहीं थे। न ही उसके पास अब सेब थे। पेड़ मरी हुई आवाज में बोला: “बच्चे आओ, मेरे बच्चे मेरे साथ खेलो”
तो फिर बच्चा बोला”ओये पेड़ अब में बच्चा नहीं रह गया हु, बड़ा हो गया हु, तूने तो कुछ करना नहीं होता, मैंने बहुत कुछ करना है। एक सपना अधुरा रह गया है पूरा कर सकते हो क्या?”
पेड़ बोला: “बोलो मेरे बच्चे।।!!”
बच्चे बोला: “में पूरी दुनिया की शहर करना चाहता हु, मेरी मदद कर सकते हो क्या?”
तो पेड़ ने कहा: “मेरे बच्चे मेरे पास तो केवल ये ताना ही बचा है, इसको ले जाओ और बेच के जो पैसे मिले उनसे दुनिया देखो, अपना ये अधुरा सपना पूरा करो”
तो उस बड़े हो गए बच्चे ने उस ताने को भी कटा और ख़ुशी-ख़ुशी वह से चला गया। पेड़ से वो दर्द सहा नहीं जा रहा था लेकिन वो बच्चे को देखकर बहुत खुश हुआ।
और ऐसे करते-करते कई साल निकाल गये, वो बच्चा भी अब बुढा हो चूका था।
अचानक,
एक दी वो बच्चा फिर वह आया, पेड़ की आँखों में पानी था। कहने लगा: “आओ बेटा आओ, आओ मेरे बच्चे मेरे पास आओ लेकिन मुझे माफ़ करना मेरे पास कुछ भी नहीं बचा अब तुझे देने को”
तो अब वो बच्चा जो बुढा हो चूका था कहने लगा: “मेरे पास अब कोंसे दांत बचे है सेब खाने को”
तो पेड़ ने कहा: “मेरे पास शाखाए भी तो नहीं है, जहा तुम खेल सको”
तो वो बुढा हो चूका बच्चा बोलने लगा: “उफ्फ्फ।।। मेरे पास भी कहा हिम्मत है उन शकाओ पर झुला झूलने का”
पेड़ बोला: “पर मेरे बच्चे मेरे पास तो ताना भी नहीं है, जो अब तेरे काम आ सके”
तो वो बुढा हो चूका बच्चा बोला: “मेरे ताना भी क्या करना है, मेरे पास इस उम्र में अब कोई शौख नहीं रहे”
तो वो पेड़ उसको उदास देखकर और उदास हो जाता है और कहता है: “मेरे बच्चे मेरे पास केवल कटा हुआ ताना है, जड़े जो जमीं में थी वो भी बूढी हो के बहार इधर-उधर बिखर रही है अब यही बूढी हो चुकी जड़े है जो मुझे छाय देती है”
तो वो बुढा हो चूका बच्चा रो पढ़ा उस पेड़ को रोते हुए बोला: “(उसके मुह से पापा निकला) पापा।।!! , अब में भी थक चूका हु, मुझे कुछ नहीं चाहिए बस थोड़ी सी आराम करने की जगह चाहिए। मिल सकती है क्या?”
पेड़ बोला: “आ मेरे बच्चे, मेरे पास आ के बैठ जा, हो सकता है मेरी यह बूढी हो चुकी जड़े तुजे कुछ चाह दे सके, आजा मेरे बच्चे आ जा, आजा मेरे पास-आजा मेरे पास, आजा मेरे पास”
और यह कहते कहते वो पेड़ पूरी तरह से मुर्जा गया। लेकिन वो मुर्जय हुआ मारा हुआ पेड़ भी मुस्कुरा रहा था। और उसकी मुस्कान देखकर वो बुढा हो चूका बच्चा बोला: “वाह!! पापा वाह!! आप सब कुछ देकर भी मुस्कुरा रहे हो और में सब कुछ लेकर भी बहुत उदास हु”
कहानी की सिक्षा (Moral of the story)
मेरे प्यारे पाठको (Readers) इस कहानी की सिक्षा हर किसी के लिए अलग-अलग है। आपके उम्र और आपके हालात के मुताबिक ये सिक्षा व्यक्ति से व्यक्ति बदल सकती है।

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